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खुदखुशी

OM
OM
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कर्कश जिन्दगी में,
कनकनी रात….

पलकों तले सपने,
और अनकही बात…

साँसों पे सिसक,
और तड़फती जस्बात …

पिया का वो जुल्म,
और अनचाही मुलाकात…

घर के एक कोने पे,
जिन्दगी की सौगात…

रिश्तों की दुनिया में,
खुद ही से कर बात..

ये पग भी मेरा,
अब चलते नहीं साथ…

किनको बताये अब,
क्या है हालात …

अंजानो की महफिल में,
ये मेरी आखिरी रात…

दोस्तों,ये है हालत आज मेरे देश के नारी का,
उनको खुदखुशी की ओर न धकेले..
उनकी जिन्दगी, आप सिर्फ एक दिन जी कर देखे .
की वे, हमारा कितना बड़ा बोझ उठती है….

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