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सिर्फ “तू ” पार कर सकता है……..

OM
OM
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जिसे दिल में दबा के बैठा है ……..
उसे आजाद कर………
कब तक , हौसलों का उड़ान, किताबो से करेगा ……
जिस दिन, तेरे नाम का चौराहा दिखेगा,…….
समझ लेना, तेरे काबिलियत को वफ़ा मिली है। ……
जब तेरा वजूद अकेला ईमानदार रहेगा ……..
तब सदमे में हजारो बेईमानदार रहेगा …………
अरे तू क्या जाने, तू क्या कर सकता है ………….
पानी के बूँद को तालाब कर सकता है……………
चिंगारी के टुकड़े को, मसाल कर सकता है ………….
गर आकाश पे सरहद होता……………
तो सूरज भी इस पार न आता………….
अपने विचारो से, सरहद को……….
सिर्फ “तू ” पार कर सकता है …….
सिर्फ “तू ” पार कर सकता है……..

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