OM
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माँ कहती है
तेरे किस्मत में जनाज़ा है, तो बेटा जी लेना …
बेनाम मर के जनाजे को, बदनाम न कर …
माँ कहती है …..
तेरी मौत की उमर लम्बी हो, ..
इसलिए तुझे शरहद पे भेजा है …..
माँ कहती है …..
मुझे पता है, मेरे मौत से पहले ,
तेरे बदन की जरुरत है , वतन को ……….
माँ कहती है ……..
तूने शरहद के इस पार,
अपने सिने से , सिर्फ एक गोली रोकी,
और हर घर के पते पे, तेरा नाम आ गया….
माँ कहती है
क्या हुआ जो हमारा घर , किराये पे बसा है.
इन गलियों के चौराहे पे, अब तेरा नाम आ गया ….
माँ कहती है
मौत आने से पहले , मैं भी जिंदगी जी गई …
तेरे शहादत के दम पे आज, मैं भी अमर हो गई।
अब एक और माँ कहती है
बेटा
तेरे भी किस्मत पे जनाजा है , तो देर न कर
मैंने भी किराये का एक घर, बेनाम चौराहे पे लिया है।
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